शुक्रवार, 19 मार्च 2010

मनुष्य Human being

मनुष्य ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट रचना है। -अग्नि पुराण

वह मनुष्य बड़ा भाग्यवान है जिसकी कीर्ति उसकी सत्यता से अधिक प्रकाशमान नहीं है। -रविन्द्र


बड़े भाग्य मानुष तन पावा।
सुर दुर्लभ सद्ग्रंथन गावा॥
साधन धाम मोक्ष कर द्वारा।
पाय न जेहि परलोक संवारा॥
-रामचरितमानस



अपनी औकात कभी मत भूलो। -अरस्तु



उदारता मनुष्य का श्रेष्ठ गुन है। -चार्वाक

आठ चक्रों और नौ द्वारों से युक्त हमारी यह देहपुरी एक अपराजेय देवनगरी है। इसमे एक हिरण्यमय कोष है, जो ज्योति और आनंद से परिपूर्ण है। - अथर्ववेद

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