मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

हार न जाना काल चक्र से

हार न जाना काल चक्र से, जीत को शीश झुकाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा॥

द्विधा की घनघोर घटा जब, मन मानस पर घिरती जाए।
मोह, भ्रान्ति के अवरोधों से, प्रेम की धारा रूकती जाए।।

ज्ञान, विवेक, सुमति, साहस से, संशय तुम्हे मिटाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा॥

संसार-सिन्धु की लहरों से, जीवन नौका टकराएगी।
प्रचंड काल की भंवरों में, यह कभी उलझ जायेगी॥

निर्भय निर्द्वंद दृढ़ता से, तुमको पतवार चलाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्य पथ अपनाना होगा॥

दुर्दिन में मित्रों का विछोह , ह्रदय को कभी व्यथित कर देगा।
मित्रता, विश्वास, प्रेम का, छद्म रूप विचलित कर देगा॥

निर्विकार, निष्काम भाव से, स्वकर्तव्य निभाना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा॥

सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम का, बीज धरा पर बोना होगा।
हिंसा, स्वार्थ, इर्ष्या, घृणा से कल्पित मन धोना होगा॥

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को, जग से दूर भागना होगा।
जीवन सफल बनाना है तो, सत्यपथ अपनाना होगा॥

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